सरस्वतीचन्द्र

सरस्वतीचन्द्र

1887 • 433 pages

सरस्वतीचन्द्र गुजरात का गरिमामय ग्रन्थ-रत्न है । सन् १८८५ के आसपास के संक्रान्तिकाल का विशेषरूप से गुजरात और सामान्यतः समग्र भारत का विस्तृत, तत्त्वस्पर्शी और आर्तदृष्टि-युक्त चित्रण है। भारत के छोटे-बड़े राज्य, अंग्रेजी शासन और उसका देश पर छाया प्रभुत्व, अज्ञान और दारिद्रय इन दो चक्कों के पाटों के बीच पिसती, सत्ताधीशों से शोषित और दासत्व के बोझ से दबी जनता के परिप्रेक्ष्य में लिखी गई एक कालजयी प्रेमकथा जिसमें गृहस्थी और संन्यास के बीच में झूलता नायक अपने भौतिक प्रेम का बलिदान कर व्यक्ति और समाज का उत्थान करने का मार्ग अपनाता है।

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#1-4 in Sarasvatichandra

Sarasvatichandra is a 1-book series first released in 1887 with contributions by Govardhanram Madhavram Tripathi.

#1
Buddhidhan's Administration

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